Monday, September 27, 2010

विस्मय

सृष्टि की जननी बनकर
है सृष्टा का भेस धरा
वृहत वसुंधरा से बढ़कर
रचयिता ने शरण स्वर्ग भरा ।

माँ कहलाई महिमा पाई
ममता दुलार लुटाती हो
देवों ने भी स्तुति गाई
हर रिश्ते से गुरुतर हो ।

सहोदरा सा रूप मनोरम
छवि अपनी कितनी सुखकर
दो बोल स्नेह भरे अनुपम
लाज बचाने आये ईश्वर ।

भरी पड़ी धरती सारी
सीता जैसी सतियों से
अनुसूया और गार्गी तारी
इस जग को असुरों से ।

इतिहास साक्षी है अपना
अवतरित हुईं दुर्गा कितनी
रानी झाँसी सी वीरांगना
मीरा सी जोगन कितनी ।

कनिष्ठा पर गोवर्धन उठाये
कान्हा कितने इतराते हैं
बरसाने वाली उन्हें नचाये
संग लय ताल ठुमकते हैं ।

हर रूप तुम्हारा रहे अनूप
तुम अनुकरणीय पथगामिनी
युग बदला तुम रहीं अनुरूप
अल्पज्ञ जो कहते अनुगामिनी ।

नारी विस्मय रूप तुम्हारा
नमन करे यह जग सारा
भोर मुखर ले दीप्त सहारा
निशा ढले पा मौन पसारा .

13 comments:

  1. ek lady hee itna sahi likh sakte hai. utam ati utam

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  2. बहुत सुन्दर भावो से लबरेज़ कविता।

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  3. naaree ka adamya roop ... bahut hi achhi laga use rubru hona

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  4. अद्भुत रचना है आपकी...विलक्षण भावों को कमाल के शब्दों में बंधा है...सच विस्मयकारी रचना है...बहुत बहुत बधाई...

    नीरज

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  5. विस्मयकारी रचना है...बहुत बहुत बधाई...

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  6. नारी पर एक सशक्त हस्ताक्षर।

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  7. कविता भाषा शिल्‍प और भंगिमा के स्‍तर पर समय के प्रवाह में मनुष्‍य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है ।

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  8. बहुत ख़ूबसूरत और शानदार...जीवन के सच को भी पिरो दिया है.

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  9. "नारी विस्मय रूप तुम्हारा
    नमन करे यह जग सारा
    भोर मुखर ले दीप्त सहारा
    निशा ढले पा मौन पसारा . "...नारी की महिमामन्डित करती आप्की कविता जहां भावों से भरी है वहीं उसकी शक्ति का भी वर्णन है... कविता लय मे है .. महादेवी जी की छाप दिखती है... छायावादी कविता जैसी आप्की रचना है... शिवमंगल सिंह सुमन की कुछ पन्क्तियां देखिये..
    "कैसे चल पाता यदि न मिला होता मुझको आकुल अंतर?
    कैसे चल पाता यदि मिलते, चिर-तृप्ति अमरता-पूर्ण प्रहर!
    आभारी हूँ मैं उन सबका, दे गये व्यथा का जो प्रसाद --
    जिस-जिस से पथ पर स्नेह मिला, उस-उस राही को धन्यवाद।"

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  10. बहुत ही भावपूर्ण कविता ...... बहुत ही प्रभावी और अर्थपूर्ण

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  11. बहुत सुन्दर रचना!
    अपनी भावयात्रा में अन्तस को छूती हुई सी ...!
    सादर!

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  12. भावपूर्ण मनोहारी अति सुन्दर रचना....
    आनंद आ गया पढ़कर...
    बहुत बहुत आभार !!!

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  13. The "Bhav" of rachna has mesmerizing effect...but in my view( I may be wrong), its flow is not smooth, appears weak if compared to your other creations.

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