कन्या
नहीं मिल रही
का शोर
कानों में पड़ा
मुझे लगा क्या
नवरात्र
शुरू हो गए है ।
इन्हीं दिनों में
होती है
इनकी पूजा
देवी बनाकर
बाकी वर्ष भर
कोई नहीं लेता
इनकी सुध ।
आज भरे है
अखबार
सेलिब्रिटीस की
बेटियों के
गुणगान से
डाटर्स डे है आज ।
खास अवसरों
पर ही होती है
इनकी खोज
बाकी जीवन
तो यों ही
गुमनामी के
अंधेरों में
दम तोड़ देता है ।
अक्सर
शिक्षित माता पिता ही
दिखाई देते है
महिला डाक्टर
से करते विनती
कन्या भूर्ण हत्या के लिए ।
जनसँख्या
में घट रहा है
अनुपात
बेटियों का
चिंताजनक रूप से ।
सरकार
को लानी
पड़ रही हैं
स्कीमें
देने पड़ रहे हैं
प्रलोभन
बेटी बचाओ
इसे भी जीने दो ।
माँ के गर्भ
में आने
से लेकर
शिक्षा कैरियर
और शादी तक
सब निशुल्क ।
फिर भी
नहीं तैयार
कोई पिता
बनने को
पालक पुत्री का ।
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डाटर्स डे दिवस की बहुत बधाई....
ReplyDeleteकन्या
ReplyDeleteनहीं मिल रही
का शोर
कानों में पड़ा
मुझे लगा क्या
नवरात्र
शुरू हो गए है ।
आभार आपका इस रचना के लिए.
पहले थीं अभिशाप बेटियां आज बनी वरदान बेटियां
हमारा दुर्भाग्य ,सरकार नीति बना सकती है मानसिकता नहीं बदल सकती अच्छा लिखा बधाई
ReplyDeletesaamyik vishay par bahut achhi prastuti. shbhkaamnaayen.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति|
ReplyDeleteफिर भी
ReplyDeleteनहीं तैयार
कोई पिता
बनने को
पालक पुत्री का ।
बिडम्बना यही है एक दिन पूजो और बाकी दिन दुत्कारो की नीति चल रही है ..
सुन्दर रचना
विडम्बना है ये हमारे विकासशील देश की. लेकिन फिर भी कहूँगी...की समय बदल रहा है. लोगों में जागरूकता आ रही है. अच्छी अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteपिताओं का सबसे अधिक प्यार बेटियों को मिलता है, फिर भी यह विडम्बना।
ReplyDeleteक्या आप भारतीय ब्लॉग संकलक हमारीवाणी के सदस्य हैं?
ReplyDeleteहमारीवाणी पर ब्लॉग पंजीकृत करने की विधि
आदरणीय रामपती जी आपकी इस मार्मिक और गंभीर कविता को पढ़ कर और आपके प्रोफाइल को देख कर एक क्षणिका आपको समर्पित कर रहा हूँ.. आशा है स्वीकार करेंगी...
ReplyDelete"जब
कन्याएं होंगी
तुम्हारी तरह
दृढ निश्चयी
और आँखों में
पालेंगी सपने
भविष्य की
नहीं मरेगी कोई कन्या
पृथ्वी पर आने से पूर्व
नहीं होगा रुदन
कन्या के जन्म पर"
बालिका दिवस पर एक उम्दा एवं भावपूर्ण रचना..हालत पहले से बहुत सुधार गये है अब बेटियों का बहुत परिवार में बहुत खास स्थान है..
ReplyDeletesimit log hain jo iski visheshta samajhte ... vishesh kabhi samuh me nahi hota
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना ....व्यंग को लपेटे हुए एक गहन चिंतन
ReplyDeleteकन्या
ReplyDeleteनहीं मिल रही
का शोर
कानों में पड़ा
मुझे लगा क्या
नवरात्र
शुरू हो गए है ।
बहुत ही सुन्दर एवं गहन भाव लिये बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
acha topic select kia hai apne madam
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण विचारणीय अभिव्यक्ति .......
ReplyDeleteye sach me ek vikral hoti samasya hai...sarkar yojnao ke lalach se betiya paida karne ke liye jor de rahi hai par logo ki mansikta fir bhi nahi badal pa rahi...badiya rachna...badhai....
ReplyDeleteसरकार
ReplyDeleteको लानी
पड़ रही हैं
स्कीमें
देने पड़ रहे हैं
प्रलोभन
बेटी बचाओ
इसे भी जीने दो ।
--
यही तो विडम्बना है!
--
इस सब के जिम्मेदार तो हम सभी हैं!
बस पूजा के लिये ही बरस में एक दिन ही लोग कन्या चाहते हैं, कि कोई वरदान या फल मिल जाये... धन दौलत आ जाये, कौन चाहता हैकि बेटी पैदा हो जाये और ढेर सारा दहेज लेकर विदा करनी पड़े। नजरिया बदलने की आवश्यकता है जी
ReplyDeleteआदरणीय सुश्रीरामपतीजी,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
फिर भी
नहीं तैयार
कोई पिता
बनने को
पालक पुत्री का।
कृपया इसे भी पढ़ें।
"अजन्मा बच्ची का ईश्वर से विवाद।"
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/03/blog-post_18.html
मार्कण्ड दवे।
ati uttam
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