Saturday, September 4, 2010

बदल लो नजरिया धुंए के प्रति

धुंआ
ऊपर की ओर ही
जाता क्यों है
विज्ञान कहेगा
हवा से हलके होने के कारण


किसी प्रेम करने वाले
ह्रदय से जब पूछोगे
कहेगा आग में
जल कर देखो
कभी मिटाने के लिए भूख
कभी कुंदन करने के लिए सोना
कभी बनाने के लिए इस्पात
कभी प्रेम में किसी के ,
ऊपर ही उठोगे
सभी सीमाओं से ऊपर
प्रेम
ऊपर ही उठाता है

जब भी देखना अब
धुआ
समझना जरुर होगी आग कहीं
चूल्हे में
भट्टी में
दिल में

बदल लो नजरिया
धुंए के प्रति

8 comments:

  1. किसी प्रेम करने वाले
    ह्रदय से जब पूछोगे
    कहेगा आग में
    जल कर देखो
    कभी मिटाने के लिए भूख
    कभी कुंदन करने के लिए सोना
    कभी बनाने के लिए इस्पात
    कभी प्रेम में किसी के ,
    ऊपर ही उठोगे
    सभी सीमाओं से ऊपर
    प्रेम
    ऊपर ही उठाता है.......superb

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  2. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
    कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
    और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा।
    http://charchamanch.blogspot.com

    शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. धुँये ते प्रति सबका अलग नज़रिया है पर धुँआ तो धुँआ हो गया।

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  4. भावपूर्ण रचना के लिये बधाई !

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  5. आपसे ऐसी सशक्त रचना की ही उम्मीद होती है.

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