Monday, October 1, 2018


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हिंदी : विश्वभाषा 


आओ सुनाऊं तुम्‍हें एक कहानी
भाषाई महल में थी संस्‍कृत पटरानी 
लेकिन जटिलता बहुत ही बड़ी थी
तनिक भी मिठास, सरलता नहीं थी
नहीं था कभी उसने विस्‍तार पाया
ज्ञानी, साधु, गुरूओं का था प्‍यार पाया
            तब सबने सोचा मिलकर एक हल
            क्‍यों न खोज लाएं एक भाषा सरल
तब आई सतरंगी सी हिन्‍दी ऐसी 
बोलने और लिखने में है एक जैसी
            वर्णमाला है इसकी सबसे व्‍यवस्‍थित
            वैज्ञानिक लिपि देवनागरी अवस्‍थित
हिंदी बन बैठी सब भाषाओं की जननी
अनेक भाषा, बोलियों की निर्मल निर्झरणी
            पूरे भारत और दुनिया में यह बोली जाए
            सहज, सलोनी सी सबको समझ आए
न कोई  दंभ,  अहं दिखाए
सरल, लचीली सी सबको अपनाए
            समृद्ध साहित्‍य से ये इतराए
            हिन्‍दी में भी सूचना क्रांति लाए
भाषाओं के संगम की है ये त्रिवेणी
इसमें समाई हर भाषा बोली
            गॉंवों से चली यह पहुंची विदेश
            लोकगीतों से निकल इंटरनेट में प्रवेश
रस से भरी यह सुधा को समेटे
माथे पर कुमकुम सी आभा लपेटे

            सब त्‍यौहारों का उत्‍सव इससे
            संस्‍कृतियों का उदगम जिससे
सात सुरों की तान है हिंदी
अटल की पहचान है हिंदी

            सिनेमा जगत की रीढ़ है यह
            संगीत प्रेम की पीर है यह
हिन्‍दी है सौहार्द की भाषा
असंभव को संभव करने की आशा
            है मेरी भी सोच यही
            यह उन्‍नत होती जाए
जैसे भारत बना विश्‍वगुरू
वैसे ही हिन्‍दी विश्‍वभाषा कहलाए