तूफ़ान उड़ा कर ले गया
मेरे घरौंदे की छत को
जल मग्न कर गया
मेरी आशा और सपनों को .
बेबस देखती मैं रह गई
करूँ क्या कुछ सूझा नहीं
प्रकृति की भ्रकुटि तनी हुई
बचाऊँ क्या कुछ बचा नहीं .
पलायन परोस रहा पानी
नदियों में उफनता हाहाकार
सच लगे कि दुनिया है जानी
देख मेघों का प्रबल प्रहार .
इन्द्रदेव क्यों रुष्ट हुए
पानी पानी कर दिया जगत
तनिक रुको सब पस्त हुए
जन जीवन है हुआ त्रस्त .
यमुना तट पर ठगी खड़ी
चिन्ह न शेष ठिकाने का
तांडव लहरें उठती गिरती
पानी भी सूख गया आँखों का .
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समसामयिक घटना का मार्मिक चित्र खींच दिया आपने। सच मुच इस बार यमुना बहुत क्रोधित है और बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही। अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें
ReplyDeletebilkul sahi likha apne madam jee, ye barish ka kuch nake irade nahi lag rahe hai
ReplyDeleteआज के हालात का सटीक चित्रण कर दिया।
ReplyDeleterelevant topic
ReplyDeleteयमुना तट पर ठगी खड़ी
ReplyDeleteचिन्ह न शेष ठिकाने का
तांडव लहरें उठती गिरती
पानी भी सूख गया आँखों का ।
मार्मिक चित्रण .बधाई .
यमुना तट पर ठगी खड़ी
ReplyDeleteचिन्ह न शेष ठिकाने का
तांडव लहरें उठती गिरती
पानी भी सूख गया आँखों का .
इतना पानी कि ...
सुन्दर अभिव्यक्ति
जिस नदी के महत्व को कृष्ण के अठखेलियों से घटा कर एक नाले का कर दिया गया हो वह क्रोधित भी न हो!
ReplyDeleteपलायन परोस रहा पानी
ReplyDeleteनदियों में उफनता हाहाकार
सच लगे कि दुनिया है जानी
देख मेघों का प्रबल प्रहार .
बहुत सुंदर रचना
सच आज यही स्थिति है ....हर जगह पानी ही पानी ...अच्छी रचना ..
ReplyDeletewah. behad achchi.
ReplyDeleteपानी ही पानी हर जगह पानी ही पानी ...अच्छी रचना ..
ReplyDeleteयमुना तट पर ठगी खड़ी
ReplyDeleteचिन्ह न शेष ठिकाने का
तांडव लहरें उठती गिरती
पानी भी सूख गया आँखों का .
वाकई इस बार की बारिस ने तो हलकान ही कर दिया .बिम्ब के सहारे यथार्थ का बेहद सुंदर और सटीक चित्रण.