Thursday, August 19, 2010

आंसू

आंसू नहीं हैं
बहाने के लिए
संजो कर रखो
छुपा कर रखो
इन्हें
अनमोल मोती हैं
तुम्हारे मन सागर के
ह्रदय सीपी की
धरोहर हैं ये ।

भावों की
पतवार लिए
तिरते हैं ये
घड़ी - घड़ी
इन्हें यूं तनहा
मत छोडो
बिखर जायेंगे
कड़ी - कड़ी ।

आंसुओं को यूं
जाया न करो
रखो उन खुशियों के लिए
जो चाहता हूँ
मैं देना तुम्हें ।

उन खुशगवार लम्हों
के लिए रखो
जब उजास भर गया था
तुम्हारे चेहरे पर
देख मेरा दीप्त चेहरा .

आंसुओं को रखो
तब के लिए भी
जब मिलेगा तुम्हें
अपना खोया हुआ मित्र
धो देना सारे गिले
कर देना इनका अचवन ।

काम आयेंगे
उस समय भी
ये आंसू
जब कंठ से लगा
खोलोगी ह्रदय कपाट
सम्मुख मेरे ।

16 comments:

  1. पन्कज त्रिवेदी (pankajtrivedi102@gmail.com)ने इमेल से कहा :
    "वाकई आपने ला-जवाब कविता लिखी है | आंसूंओं का मूल्य क्या है? इसे ग़म के लिएँ जाया नहीं करना है, आने वाली खुशियों के लिएँ संजोकर भी रखना है |
    बहुत अच्छा | धन्यवाद | "

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  2. आंसुओं को रखो
    तब के लिए भी
    जब मिलेगा तुम्हें
    अपना खोया हुआ मित्र
    धो देना सारे गिले
    कर देना इनका अचवन ।

    umda rachna hai...

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  3. एक अत्यंत ही भाव भरी कविता!

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  4. अच्छी रचना

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  5. एक अलग भाव दिया है आपने……………सुन्दर रचना।

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  6. वों की
    पतवार लिए
    तिरते हैं ये
    घड़ी - घड़ी
    इन्हें यूं तनहा
    मत छोडो
    बिखर जायेंगे
    कड़ी - कड़ी ।
    BAHUT GAHRE ARTH

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  7. तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.

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  8. हर बहता आँसू कितना गहरा अनुभव दे जाता है।

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  9. aansu pr likh diya he bhut kuch apne dhaansu , akhtar khan akela kota rajsthan

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  10. सच है कि बहुत खुशी मिलने पर भी आँसू आ जाते हैं ...बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति

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  11. ashu ko valuable bana diya apne

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  12. आंसुओं को यूं
    जाया न करो
    रखो उन खुशियों के लिए
    जो चाहता हूँ
    मैं देना तुम्हें ।

    ओह....क्या भाव हैं...
    और अभिव्यक्ति - ग्रेट !!!!

    कोमल भावों की यह मोहक अभिव्यक्ति मन लुभा गयी...

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  13. संभाल के रखो इन आँसुओं को ... पर ये कम्बख़्त किसी की मानते कहाँ हैं ....
    बहुत खूब ... अच्छे ज़ज्बात हैं इस रचना में ...

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