Thursday, August 5, 2010

समय का ए़क टुकड़ा

समय
ए़क पहिये की तरह है
रुका तो समझो
जिंदगी नहीं
चलता रहे
तो जारी है सफ़र


प्रेम भी
ए़क हिस्सा है
समय का
नहीं जताया जो
फिसल जाता है
समय
बंद मुट्ठी में
रेत की तरह
और उम्र
निकल जाती है
नदी की भांति

एहसास है मुझे
समय चल रहा है
अपनी गति से
और हर सांस के साथ
कम हो रहा है
अपने साथ होने का समय.

छोडो अपनी जिद्द
और लौट आओ
समय का ए़क टुकड़ा
अब भी

संभाले हूँ
अपने आँचल में

5 comments:

  1. समय
    ए़क पहिये की तरह है
    रुका तो समझो
    जिंदगी नहीं
    चलता रहे
    तो जारी है सफ़र
    jivan ka vastvik satya byaan kiya hai kavita ke madhay se....

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  2. बहुत सुंदर भाव युक्त कविता

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  3. सूत्रबद्ध अपनी बात को बखूबी कहती एक सुन्दर कविता .

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  4. समय सम्हाल लेना कितना कठिन है।

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  5. प्रेम भी
    ए़क हिस्सा है
    समय का
    नहीं जताया को
    फिसल जाता है
    समय
    बंद मुट्ठी में
    रेत कि तरह
    और उम्र
    निकल जाती है
    नदी की भांति
    bahut badhiyaa... saar jivan ka

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