Friday, July 30, 2010

दूरी

दूरी से पैदा होता है मोह
मोह से जन्म लेती है माया
माया से बनता है नेह
नेह से उत्पन्न होता है प्रेम
प्रेम से सृजित होता है नया संसार
ऐसी दूरी से क्यों न हो प्यार .

दूरी दूर ले जाती है
अवसादों को तिरोहित कर जाती है
मौन हो जाते है
सब गिले शिकवे
याद रहती है तो बस
खैरियत उनकी
ऐसी दूरी की क्यों न हो चाह .

दूरी मिटा देती है
दिलों की दूरी
दूर रहने पर
याद आते हैं
वो सुखद पल
जो साथ गुजारे थे हमने
वो हसीं लम्हे
जिन्हें साथ जिया था हमने
ऐसी दूरी और पास ले आती है .

6 comments:

  1. दूरी दूर ले जाती है
    अवसादों को तिरोहित कर जाती है
    मौन हो जाते है
    सब गिले शिकवे
    याद रहती है तो बस
    खैरियत उनकी
    ऐसी दूरी की क्यों न हो चाह .
    bahut badhiyaa

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  2. umda rachna hai, vireh aur prem ke kashmekash mai saragar insani zazbaton ko ba khubi se darshaya hai...

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  3. सच ही है, दूरी भी उतनी महत्वपूर्ण होती है जितनी निकटता।

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  4. दूरी मिटा देती है
    दिलों की दूरी
    दूर रहने पर
    याद आते हैं
    वो सुखद पल
    जो साथ गुजारे थे हमने
    वो हसीं लम्हे
    जिन्हें साथ जिया था हमने
    ऐसी दूरी और पास ले आती है .

    बहुत खूबसूरती से बयां की है ये दर्द की दास्ताँ. पर ये समझ नहीं आया की हमारे घर की बातें आप तक कैसे पहुंची

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  5. फ्रैंडशिप- डे की बधाई

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  6. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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