हर दिन एक नया सूर्य
सुबह अलसाई आँखें मूँद
नई धूप है नई रश्मियाँ
है नई ओस की बूँद .
एहसास तुम्हारा लगे नया
नया हर पल तुम लगते नव
अनछुए अनुभव से तुम
हर क्षण लगते नूतन नवीन .
चांदनी सी तुम धुली धुली
नव पल्लव सी खिली खिली
बारिश में जैसे नहाई सी
पत्तों पर बूंदे फिसली फिसली .
नई है कोपल नयी सी रिमझिम
नया स्वर कलकल निर्झर
ख्वाब नए है नयी तरंगे
बहे तुम्हारा नेह झरझर .
नई राह है नई चाह है
नया रस्ता मंजिल भी नई
नई खुशियाँ के रंग नए
कदम चूम ले चमक नई .
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हर दिन एक नया सूर्य
ReplyDeleteसुबह अलसाई आँखें मूँद
नई धूप है नई रश्मियाँ
है नई ओस की बूँद .
सुन्दर कल्पना शक्ति ,साधे और सरल शब्द लिए हुए बहुत सुन्दर रचना ....! आपके ब्लॉग पर प्रथम बार आया ,,,,अच्छा लगा ,,,समय निकलकर पिछली रचनाएँ भी -पढता हूँ,,,,,, शब्दों के इस सुहाने सफ़र में आज से मैं भी आपके साथ हूँ ,,,चलो साथ चलते है ,,............!
waakai sab naya naya hai.......
ReplyDelete........नया स्वर कलकल निर्झर
ReplyDeleteख्वाब नए है नयी तरंगे......
बहे तुम्हारा नेह झरझर . hamesha ki trh ek nai or sunder rachana hetu abhaar....
geet ki tarah hai.
ReplyDeleteआपके उत्साह के सूर्य के प्रकाश से हम भी नहा लिये।
ReplyDeleteएक उम्दा कविता।
ReplyDeleteसब नया सा दिख रहा है इक नया वादा करो
दर्द औरों के समझकर अपने सुख साझा करो।