शब्द
चाकू, छुरी, तीर और तलवार
लड़ रहे थे कि
सबसे गहरा घाव कौन देगा
"शब्द" पीछे खड़ा मुस्कुरा रहा था |
हल्दी, नीम, तुलसी
कर रहे थे सलाह कि
कौन बनेगा इस घाव का मरहम
पीछे बैठ मंद - मंद
मुस्कुरा रहे थे "मीठे बोल" |
शब्दों की महिमा से
परिचित हैं हम सभी
विरोधियों की फ़ौज खड़ी कर लेते हैं
"कड़वे से बोल" और
दुश्मन को भी गले लगा लेते हैं
स्नेह में भीगे "विनम्र शब्द" |
हर लेते हैं
मन का सारा विषाद
"सांत्वना के दो शब्द"
ह्रदय छलनी कर देते हैं
उलाहना भरे "तीखे वचन" |
बिना पंखों के ही
नाप आते हैं आकाश
और खींच आते हैं
सतरंगी इंद्रधनुष, सुनकर
"उत्साह से भरे शब्द" |
निराश जीवन में भी
नई स्फूर्ति और ऊर्जा
भर नव जीवन का
संचार कर देते हैं
"प्रेम से भरे दो शब्द" |
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