Wednesday, January 26, 2011

महापर्व






लोक तंत्र का महापर्व
गणतंत्र की है पहचान
मस्तक पर भर देता गर्व
सैनिकों का अनुपम बलिदान

जन जन ने गीता कहा
नर नारी का हो सम्मान
संघर्ष हमारा विजयी रहा
मिली राष्ट्र को नयी पहचान

गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
नर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
विन्ध्याचल आस्था समेटे
हिमालय से यह विश्व जले

प्रगति परिधान पहन आती
गूँज रहा चहुँ और आहवान
सुख वैभव समृद्धि गाती
अपनी गौरव गाथा का गान

शहीद प्रफुल्लित हुआ आज
करता नमन हिन्द सारा
याद दिलाएं उसके काज
गया वतन पर वह मारा

संविधान बना है रामायण
है देश चलाने की कुंजी
गरिमा ना जाए उत्तरायण
यही हमारी है पूँजी

याद आ गए होनहार
जो ना बीच हमारे हैं
आन बनी है खेवनहार
जीवन अपना हारे हैं .