लोक तंत्र का महापर्व
गणतंत्र की है पहचान
मस्तक पर भर देता गर्व
सैनिकों का अनुपम बलिदान
जन जन ने गीता कहा
नर नारी का हो सम्मान
संघर्ष हमारा विजयी रहा
मिली राष्ट्र को नयी पहचान
गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
नर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
विन्ध्याचल आस्था समेटे
हिमालय से यह विश्व जले
प्रगति परिधान पहन आती
गूँज रहा चहुँ और आहवान
सुख वैभव समृद्धि गाती
अपनी गौरव गाथा का गान
शहीद प्रफुल्लित हुआ आज
करता नमन हिन्द सारा
याद दिलाएं उसके काज
गया वतन पर वह मारा
संविधान बना है रामायण
है देश चलाने की कुंजी
गरिमा ना जाए उत्तरायण
यही हमारी है पूँजी
याद आ गए होनहार
जो ना बीच हमारे हैं
आन बनी है खेवनहार
जीवन अपना हारे हैं .