दुल्हन सा बैचैन मन
जागा सारी रात
नए वर्ष के द्वार पर
आ पहुंची बारात ।
शहनाई पर 'भैरवी'
छेड़े कोई राग
या फूलों पर तितलियाँ
लेकर उड़ीं पराग ।
इतनी सी सौगात ला
आने वाले साल
पीने को पानी मिले
सस्ता आटा , दाल ।
भाषा, मजहब, प्रान्त के
झगडे और संघर्ष
तू ही आकर दूर कर
मेरे नूतन वर्ष ।
ये बूंदें हैं ओस की
या मोती का थाल
आओ देखें गेंहू के
खेतों में नव साल ।
वो सरसों के खेत में
सपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी
आया है नव वर्ष ।
नई भोर की रश्मियों
रुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष ।
Thursday, December 31, 2009
Tuesday, December 29, 2009
नए साल की लख लख वधाई
धवल दूध सा उज्जवल मुख
घुंघराली लट है खेल रही
नैनो में छाई है शोखी
मुस्कान अधर पर तैर रही ।
तुम हो प्रियतम मेरे
कहते आती है लाज मुझे
मैं बनूँ तुम्हारी प्रियतमा
सिहरन सी आती है मुझे ।
पंखुरियों का महा सैलाब
ले जाये बहा मझधार में
नए वर्ष की है आरजू
खुशबुओं का झंझावात
रच बस जाये तुम्हारे संसार में ।
घुंघराली लट है खेल रही
नैनो में छाई है शोखी
मुस्कान अधर पर तैर रही ।
तुम हो प्रियतम मेरे
कहते आती है लाज मुझे
मैं बनूँ तुम्हारी प्रियतमा
सिहरन सी आती है मुझे ।
पंखुरियों का महा सैलाब
ले जाये बहा मझधार में
नए वर्ष की है आरजू
खुशबुओं का झंझावात
रच बस जाये तुम्हारे संसार में ।
Wednesday, December 23, 2009
बधाइयाँ
अहो। देखे कितने वसंत
आयंगें अनगिनत वसंत
उन सबसे सुखकर होगा
आने वाला यह वसंत !
दिन दुनी रात चौगुनी
सांसे आपके जीवन की
सुगन्धित हो बयार
हर वेला आपके आसपास की
इन्द्रधनुष सा हो भोर
रातें रजनीगंधा सी
खिले पलाश हर दिन
साँझ महके रातरानी सी
लम्हे जो आने वाले है
यादगार बन जाये
तुम पारस से
छू लो जिसे कुंदन बन जाये ।
Tuesday, December 22, 2009
दीया
एक दीया कहे एक दीये से ,
आओ चलें तम की ओर।
फैलाएं उजियारा
है पर्व प्रकाश का ,
हो कोई न उदास हो
ये वादा हमारा ।
लौ से लौ मिले ,
जगमग है सृष्टि सारी
मिटकर भी दें चांदनी ,
यही फितरत हमारी ।
दीवाली हो आपके जीवन में ,
बस आगे बढते जाएँ ।
खवाबो में भी जो हो हसरत ,
ईश्वर पूरी करते जाएँ ।
महालक्ष्मी का हो आगमन ,
आपके नेह कुटीर में ,
रुनझुन रुनझुन सी गूंजें ,
आपके परिवेश में ।
स्वस्थ और दीर्घाऊ हो ,
छौनों का सुंदर रूप ।
बढते देख विभोर हैं
कि हैं मेरे प्रतिरूप ।
हर पल बढे एक दीया ,
मान , सम्मान और वैभव का ।
लौ उसकी जलती रहे ,
हो तेल गरिमा और स्नेह का ।
लौ देख तुम्हे मुस्काती रहे
कि न हो भेंट दीये के तल से ।
दीवाली आपको हो मुबारक ,
हम सब कहें बहुत मन से ।
आओ चलें तम की ओर।
फैलाएं उजियारा
है पर्व प्रकाश का ,
हो कोई न उदास हो
ये वादा हमारा ।
लौ से लौ मिले ,
जगमग है सृष्टि सारी
मिटकर भी दें चांदनी ,
यही फितरत हमारी ।
दीवाली हो आपके जीवन में ,
बस आगे बढते जाएँ ।
खवाबो में भी जो हो हसरत ,
ईश्वर पूरी करते जाएँ ।
महालक्ष्मी का हो आगमन ,
आपके नेह कुटीर में ,
रुनझुन रुनझुन सी गूंजें ,
आपके परिवेश में ।
स्वस्थ और दीर्घाऊ हो ,
छौनों का सुंदर रूप ।
बढते देख विभोर हैं
कि हैं मेरे प्रतिरूप ।
हर पल बढे एक दीया ,
मान , सम्मान और वैभव का ।
लौ उसकी जलती रहे ,
हो तेल गरिमा और स्नेह का ।
लौ देख तुम्हे मुस्काती रहे
कि न हो भेंट दीये के तल से ।
दीवाली आपको हो मुबारक ,
हम सब कहें बहुत मन से ।
Monday, December 21, 2009
लाडली
आ मेरी नन्ही परी,
तुझे गले से लगा लूँ
मेरे आँगन की है तू गोरैया,
सौ सौ बार लूँ तेरी बलेयाँ
लाडो मेरी तू चहकती रहे,
माँ की सांसो में हरदम महकती रहे
मेरा अक्स है तू, मेरी छाया बनी,
सपना बनकर मेरी पलकों में है पली
कितनी सुंदर है तू, मेरी कोमल कली
है कितनी मुलायम, हीरे की कनी
है तू पांच बरस की और मैं पचपन
तुझमे है पाया मैंने बचपन
वो बाबा का आँगन वो आँगन में खटिया
वो अल्हड सी इठलाती बाबा की बिटिया
तितली पकड़ते वो नन्हे फ़रिश्ते
अमरुद चुराते वो शैतान बच्चे
दुःख का कतरा कभी तुम्हे छू न पाए
दाता हर सुख तेरी झोली में गिराए
मुझसे भी ऊँची तू उठती जाये
तुझे देख देख मेरा जिया हरसाए
दुःख कोई जिंदगी में , आने न पाए
सुख का सावन , सदा झूले में झुलाये
तूने भर दिया, मेरे जीवन का सूनापन
तुझमें ही पाया है ,मैंने अपनापन
दुआओं से भर दूँ, मैं दामन तेरा
माँ की ममता बनेगी, कवच तेरा
तू यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे
जिंदगी तेरी बस मुस्कुराती रहे
रोम रोम में तू, माँ के है बसती
माँ की आत्मा , तुझमें ही बसती ।
तुझे गले से लगा लूँ
मेरे आँगन की है तू गोरैया,
सौ सौ बार लूँ तेरी बलेयाँ
लाडो मेरी तू चहकती रहे,
माँ की सांसो में हरदम महकती रहे
मेरा अक्स है तू, मेरी छाया बनी,
सपना बनकर मेरी पलकों में है पली
कितनी सुंदर है तू, मेरी कोमल कली
है कितनी मुलायम, हीरे की कनी
है तू पांच बरस की और मैं पचपन
तुझमे है पाया मैंने बचपन
वो बाबा का आँगन वो आँगन में खटिया
वो अल्हड सी इठलाती बाबा की बिटिया
तितली पकड़ते वो नन्हे फ़रिश्ते
अमरुद चुराते वो शैतान बच्चे
दुःख का कतरा कभी तुम्हे छू न पाए
दाता हर सुख तेरी झोली में गिराए
मुझसे भी ऊँची तू उठती जाये
तुझे देख देख मेरा जिया हरसाए
दुःख कोई जिंदगी में , आने न पाए
सुख का सावन , सदा झूले में झुलाये
तूने भर दिया, मेरे जीवन का सूनापन
तुझमें ही पाया है ,मैंने अपनापन
दुआओं से भर दूँ, मैं दामन तेरा
माँ की ममता बनेगी, कवच तेरा
तू यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे
जिंदगी तेरी बस मुस्कुराती रहे
रोम रोम में तू, माँ के है बसती
माँ की आत्मा , तुझमें ही बसती ।
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