होली आने में दिवस बचे
रंगों की फुहार चली आई ।
हम बाट जोहते कान्हा की
राधा रंग लिए चली आई ।
है मेला रंग, गुलालों का
जज्बातों का, मनुहारों का ।
भांग घोटते , गाते रसिया
थिरक रही गोरी मनबसिया ।
होली मिलन की है तैयारी
मस्ती में झूम रहे नर-नारी ।
है आस मुझे, रंग दूं प्रिय को
लाज, हया तज, अंग लगूं प्रिय के ।
रंग, अबीर सब और, धूम है भारी
चाहे भीगे धानी चुनरिया या फिर भीगे साड़ी ।