Sunday, April 11, 2010

कागज़

कागज़ का पुर्जा हूँ मैं
या एक छोटा सा टुकड़ा
मुझमें देख रही है गोरी
अपने प्रिय का मुखड़ा ।

कागज़, एक कोरा कागज़
या हूँ तेरे मन की स्लेट
जो कुछ संकोच हो कहने में
जड़ दो मुझ पर अर्थ समेट ।

जिसकी आस में जोगन हो गई
कब आएगी प्रेम की पतिया
कागज़ के रथ पर सवार
करने आयेंगे मन की बतिया ।

सात समंदर पार बसे हो
किसकी डार मैं लागूँ साजन
एक तेरी चिट्ठी का सहारा
जिसकी राह निहारूं साजन ।

दिल अपना मैं चीर के रख दूं
संदेसा ले जा प्रेम कबूतर
जाकर चरणों में रख देना
बसी स्मृति है जिनकी भीतर ।

कब आओगे पूछ के आना
कह देना सब दिल का हाल
बिन तेरे मैं हुई अधूरी
बेबस, बेकल और बेहाल ।

कागज़ के मैं पंख बनाऊं
आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ
या कागज़ की बना के किस्ती
तैरा दूं, तुम तक पहुँचाऊँ ।

कागज़ धन्य हुआ उस पल
जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया
ख़ुशी से नाची, था उल्लास
उनसे मिलने का न्योता लाया ।

8 comments:

  1. कागज़ के मैं पंख बनाऊं
    आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ
    या कागज़ की बना के किस्ती
    तैरा दूं, तुम तक पहुँचाऊँ ।
    khoobsurat ehsaas

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  2. कागज़ धन्य हुआ उस पल
    जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया
    ख़ुशी से नाची, था उल्लास
    उनसे मिलने का न्योता लाया ।
    बहुत खूबसूरती से लिखी गयी व्यथा है, जो किसी का साथ पाने की तीव्र बलवती होती इक अभिलाषा हर पल हर साँस में इक जिंदगी
    जी लेने की अनकही सी दास्ताँ सी लगती है

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  3. कागज़ के मैं पंख बनाऊं
    आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ
    या कागज़ की बना के किस्ती
    तैरा दूं, तुम तक पहुँचाऊँ ।

    बहुत उम्दा रचना है, आपकी रचनाये बहुत सहज होती है जो बहुत हो प्रभावकारी होती है...

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  4. कागज़ धन्य हुआ उस पल
    जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया
    धन्य होना ही था.
    बेहतरीन रचना भावपूर्ण और रूमानी

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  5. कागज से अति उत्तम प्रस्तुति की है

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  6. kagaj ka ek tukada aur usase jude hajaron bhav behatareen prastuti.

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  7. " कागज़, एक कोरा कागज़
    या हूँ तेरे मन की स्लेट
    जो कुछ संकोच हो कहने में
    जड़ दो मुझ पर अर्थ समेट ।"
    मन की स्लेट पर दिल के कहिअनकहि आसानी से कही जा सकती है.. प्रेम और विरह के शाश्वत भाव नई पीढ़ी में कुछ और तरह से अभिव्यक्त हो रहे है .. लेकिन आपने उन्हें शाश्वत रूप से ही और बहुत ही शिद्दत से अभिव्यक्त किया है... सुंदर रचना... बहुत मनोयोग से लिख रही है... अपनी प्रेरणा को इसी तरह जीवंत रख लिखते रहे... शुभकामनाओं सहित!

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