tag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post5740928008079261592..comments2023-09-25T08:26:34.325-07:00Comments on मेरे भाव: कागज़मेरे भावhttp://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-20999992993818871582010-04-18T08:35:06.775-07:002010-04-18T08:35:06.775-07:00" कागज़, एक कोरा कागज़
या हूँ तेरे मन की स्लेट ..." कागज़, एक कोरा कागज़<br />या हूँ तेरे मन की स्लेट <br />जो कुछ संकोच हो कहने में<br />जड़ दो मुझ पर अर्थ समेट ।"<br />मन की स्लेट पर दिल के कहिअनकहि आसानी से कही जा सकती है.. प्रेम और विरह के शाश्वत भाव नई पीढ़ी में कुछ और तरह से अभिव्यक्त हो रहे है .. लेकिन आपने उन्हें शाश्वत रूप से ही और बहुत ही शिद्दत से अभिव्यक्त किया है... सुंदर रचना... बहुत मनोयोग से लिख रही है... अपनी प्रेरणा को इसी तरह जीवंत रख लिखते रहे... शुभकामनाओं सहित!अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-8218542449365675412010-04-15T00:39:04.419-07:002010-04-15T00:39:04.419-07:00kavita me katha ?!!! sundar.........kavita me katha ?!!! sundar.........सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-13906186718603537272010-04-14T05:32:14.676-07:002010-04-14T05:32:14.676-07:00kagaj ka ek tukada aur usase jude hajaron bhav beh...kagaj ka ek tukada aur usase jude hajaron bhav behatareen prastuti.kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-81635924244643013252010-04-13T00:54:44.884-07:002010-04-13T00:54:44.884-07:00कागज से अति उत्तम प्रस्तुति की हैकागज से अति उत्तम प्रस्तुति की हैDevhttps://www.blogger.com/profile/12753851385568919086noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-71671521271960697782010-04-12T07:22:01.348-07:002010-04-12T07:22:01.348-07:00कागज़ धन्य हुआ उस पल
जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया
धन्य...कागज़ धन्य हुआ उस पल<br />जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया<br />धन्य होना ही था. <br />बेहतरीन रचना भावपूर्ण और रूमानीM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-85035326311908536752010-04-12T02:04:25.332-07:002010-04-12T02:04:25.332-07:00कागज़ के मैं पंख बनाऊं
आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ
या...कागज़ के मैं पंख बनाऊं<br />आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ<br />या कागज़ की बना के किस्ती<br />तैरा दूं, तुम तक पहुँचाऊँ ।<br /><br />बहुत उम्दा रचना है, आपकी रचनाये बहुत सहज होती है जो बहुत हो प्रभावकारी होती है...Rajat Narulahttps://www.blogger.com/profile/18074987075863492261noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-50804730668099418202010-04-12T01:59:27.903-07:002010-04-12T01:59:27.903-07:00कागज़ धन्य हुआ उस पल
जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया
ख़ुश...कागज़ धन्य हुआ उस पल<br />जब पढ़कर उसने ह्रदय लगाया<br />ख़ुशी से नाची, था उल्लास <br />उनसे मिलने का न्योता लाया । <br />बहुत खूबसूरती से लिखी गयी व्यथा है, जो किसी का साथ पाने की तीव्र बलवती होती इक अभिलाषा हर पल हर साँस में इक जिंदगी <br />जी लेने की अनकही सी दास्ताँ सी लगती हैरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2544607328817824341.post-43080197910658220252010-04-12T00:16:22.111-07:002010-04-12T00:16:22.111-07:00कागज़ के मैं पंख बनाऊं
आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ ...कागज़ के मैं पंख बनाऊं <br />आकाश नाप लूं , तुम तक आऊँ <br />या कागज़ की बना के किस्ती<br />तैरा दूं, तुम तक पहुँचाऊँ ।<br />khoobsurat ehsaasरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com