अफसर एक ऐसा मैंने देखा
जैसा न तुमने , न हमने देखा
प्रथम दिन जो उठाई शपथ
कसम थी निभाए उसे अंत तक ।
काम ही काम, बस कुछ न सुझाये
नियम के पक्के, काम ही भाये
आये थे बाबू , अफसर ही जायेंगे
उनके काम के सब गुण ही गायेंगे ।
आते ही काम, दिन भर बस काम
घर और दफ्तर , काम ही काम
है साथी बनीं , बस यही फाईलें
गहराया हुनर जिनमें , है फाईलें ।
हैं सरकारी अफसर , न आराम धुन लागी
उनको तो थी बस, काम धुन लागी
न उम्र का तकाजा , न अपना स्टेटस देखा
देखा तो बस, बैठक का एजेंडा देखा ।
दफ्तर में हो रेशो , शतप्रतिशत
इसके आलावा चाहे जीरो प्रतिशत
ये था उनका डिवोशन ,थी उनकी ये मेहनत
शिखर पर ले गयी , उनकी ये फितरत ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment