Wednesday, June 23, 2010

सुबह

रश्मियाँ रक्तिम चटक उठीं
उठ मनवा क्यों सोया है
कजरारी रतिया बीत गयी
किसके सपनों में खोया है ।

रात सिर्फ एक रात नहीं
संवाहक है मीठी यादों की
चहल पहल से दूर कहीं
थाती है प्रिय की बातों की ।

हों दुःख की बोझिल रातें
आखिर कट ही जाएँगी
इन्तजार की लम्बी घड़ियाँ
सुबह सुहानी लायेंगी ।

चाँद और तारों का झुरमुट
बिरहन को तड़पाता है
सुप्रभात होगा एक दिन
चुपके से समझाता है ।

होती नित्य सुबह नई
कितनी यह भोर अनोखी है
लेने आयेंगे मीत मुझे
कितनी यह सुबह सलोनी है ।

5 comments:

  1. चाँद और तारों का झुरमुट
    बिरहन को तड़पाता है
    सुप्रभात होगा एक दिन
    चुपके से समझाता है ।

    an innocent poem with a motive and inspiration to wake up early to welcome the life and enjoy the nature.

    ReplyDelete
  2. bahut sunder varnan aur ek sakaratmakta ko disha deti kavita

    ReplyDelete
  3. रात सिर्फ एक रात नहीं
    संवाहक है मीठी यादों की
    waah

    ReplyDelete
  4. रात सिर्फ एक रात नहीं
    संवाहक है मीठी यादों की
    चहल पहल से दूर कहीं
    थाती है प्रिय की बातों की ।


    sundar chhand... bahut manoram kavita hui
    badhai

    ReplyDelete
  5. "रात सिर्फ एक रात नहीं
    संवाहक है मीठी यादों की
    चहल पहल से दूर कहीं
    थाती है प्रिय की बातों की ।"
    ... इन पंक्तियों में पूरा जीवन दर्शन छुपा है... नया बिम्ब रचते ए़क नयी कविता ..

    ReplyDelete