Thursday, May 13, 2010

लहरों के बीच

बहती नदिया उद्दात्त वेग
संकल्प उन्हें बहा ले जाऊं
डूबती उतराती लहरियां
उन्हीं में समाहित हो जाऊं ।

अति गति इन लहरों की
अपना अस्तित्व बचाऊं कैसे
इस बहुरूपिये समाज में
अपनी ठौर बनाऊं कैसे ।

जग में आने से अब तक
गाथा संघर्ष की संग हुई
हर पल मरना, तिल तिल जलना
कैसे मैं इतनी मुखर हुई ।

प्रस्थान है आगे की तैयारी
लहरों से लड़ती मनमानी
विपरीत दिशा में है जाना
मन में अब मैंने ठानी ।

उठता ज्वार इन लहरों का
अब मुझे डरा ना पायेगा
राह बनाऊं इनमें अपनी
निश्चय से डिगा ना पायेगा ।

उफनता राग उन्मत्त आभास
कलकल संगीत बनाऊँगी
लहरों से करती परिहास
संगम धारा बन जाऊंगी ।

5 comments:

  1. 'क्रोधित राग उन्मत्त आभास
    कलकल संगीत बनाऊँगी
    लहरों से करती परिहास
    संगम धारा बन जाऊंगी।'
    nadi ka roopak le aapne bhawon ka jo manvikaran kiya hai usse rachna mein bhi prawah aa gaya hai.emotion ka yah sailab sab kuch baha le jaane ko aatur dikhta hai.

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  2. प्रस्थान है आगे की तैयारी
    लहरों से लड़ती मनमानी
    विपरीत दिशा में है जाना
    मन में अब मैंने ठानी ।
    yahi viprit disha sampurnta banti hai

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  3. उठता ज्वार इन लहरों का
    अब मुझे डरा ना पायेगा
    राह बनाऊं इनमें अपनी
    निश्चय से डिगा ना पायेगा ।

    atut vishwas ka prateek hai ye behtareen rachna..

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  4. बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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