Tuesday, March 9, 2010

सबसे न्यारा दोस्त

रश्क हो चला हमें भाग्य से
सखा जो ऐसा दिया है लाकर
भर दी जिसने झोली मेरी
नीलगगन से जुगनू लाकर ।

दोस्त मेरा है सबसे प्यारा
कितना सुन्दर, कितना न्यारा
अपनाने को आतुर अश्रुधार
सौप चुके जीवन आधार ।

लगते नहीं इस धरा के तुम
देवो सी बाते करते हो
पलक पालकी बिठलाकर
कितना इतराया करते हो ।

न देखें तुम्हे तो हो न सवेरा
सूना रह जाये मन का बसेरा
भर देते चेहरे पर उजास
मुस्कान तेरी जीवन प्रकाश ।

हर्षित हो, गरिमा का
तुमने भान रखा
राहों में कलियाँ बिखराकर
तुमने मेरा मान रखा ।

नैनों के मोती चुनने को,
जो तुमने फलक पसार दिया
मैं वारी जाऊं उस पल पर,
जिसने इतना अधिकार दिया ।

मेरे सपनों के साथी तुम
वादा है उम्र लुटाने का
आओ , ख्वाबों में रंग भरें
वक्त नहीं कुछ सुनने और सुनाने का .

3 comments:

  1. "आओ , ख्वाबों में रंग भरें
    वक्त नहीं कुछ सुनने और सुनाने का . "
    kavita inhi do anktiyon me hain.... bahust sunder rachna... is jamane me aise dost milte kahan hain... aapko jo mila hai sanjo kar raken... shbdon se kuch vimb achhe bane hai... jaise... "नैनों के मोती चुनने को, जो तुमने फलक पसार दिया
    " ya phir "पलक पालकी बिठलाकर
    कितना इतराया करते हो । "
    apni kavita ki geyta akshun rakhen!

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  2. हर्षित हो, गरिमा का तुमने भान रखा
    राहों में कलियाँ बिखराकर , तुमने मेरा मान रखा
    नैनों के मोती चुनने को, जो तुमने फलक पसार दिया
    में वारी जाऊं उस पल पर , जिसने इतना अधिकार दिया ।
    .......
    बहुत ही सारगर्भित भाव

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  3. रश्क हो चला हमें भाग्य से
    सखा जो ऐसा दिया है लाकर
    भर दी जिसने झोली मेरी
    नीलगगन से जुगनू लाकर ।
    bahut sunder panktiyan......

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