आ मेरी नन्ही परी, तुझे गले से लगा लूँ
मेरे आँगन की है तू गोरैया, सौ सौ बार लूँ तेरी बलेयाँ
लाडो मेरी तू चहकती रहे, माँ की सांसो में हरदम महकती रहे
मेरा अक्स है तू, मेरी छाया बनी, सपना बनकर मेरी पलकों में है पली
मेरे आँगन की है तू गोरैया, सौ सौ बार लूँ तेरी बलेयाँ
लाडो मेरी तू चहकती रहे, माँ की सांसो में हरदम महकती रहे
मेरा अक्स है तू, मेरी छाया बनी, सपना बनकर मेरी पलकों में है पली
कितनी सुंदर है तू, मेरी कोमल कली
है कितनी मुलायम, हीरे की कनी
है तू पांच बरस की और मैं पचपन
तुझमे है पाया मैंने बचपन
वो बाबा का आँगन वो आँगन में खटिया
वो अल्हड सी इठलाती बाबा की बिटिया
तितली पकड़ते वो नन्हे फ़रिश्ते
अमरुद चुराते वो शैतान बच्चे
दुःख का कतरा कभी तुम्हे छू न पाए
दाता हर सुख तेरी झोली में गिराए
मुझसे भी ऊँची तू उठती जाये
तुझे देख देख मेरा जिया हरसाए
दुःख कोई जिंदगी में , आने न पाए
सुख का सावन , सदा झूले में झुलाये
तूने भर दिया, मेरे जीवन का सूनापन
तुझमें ही पाया है ,मैंने अपनापन
दुआओं से भर दूँ, मैं दामन तेरा
माँ की ममता बनेगी, कवच तेरा
तू यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे
जिंदगी तेरी बस मुस्कुराती रहे
रोम रोम में तू, माँ के है बसती
माँ की आत्मा , तुझमें ही बसती ।
दुआओं से भर दूँ, मैं दामन तेरा
ReplyDeleteमाँ की ममता बनेगी, कवच तेरा
तू यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे
जिंदगी तेरी बस मुस्कुराती रहे
...
शब्दश: मन को भावमय करती पंक्तियां
माँ कैसे तुम्हें
एक शब्द मान लूँ
दुनिया हो मेरी
पूरी तुम
तू यूँ ही सदा खिलखिलाती रहे
ReplyDeleteजिंदगी तेरी बस मुस्कुराती रहे ...
माँ की दुआए हमेशा बच्चों साथ होती है,,,उत्कृष्ट प्रस्तुति,,, बधाई।
recent post हमको रखवालो ने लूटा
रोम रोम में तू, माँ के है बसती
ReplyDeleteमाँ की आत्मा , तुझमें ही बसती ।
..बिल्कुल सच कहा है..बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..
अति सुंदर,
ReplyDeleteमाँ तुझे सलाम .
माँ का बच्चे से प्रकृति का रिश्ता
ReplyDeleteये आशीषें शक्तिशाली साबित होंगी....
ReplyDeleteरोम रोम में तू, माँ के है बसती
ReplyDeleteमाँ की आत्मा , तुझमें ही बसती ।
.... सच कहा है