लोक तंत्र का महापर्व
गणतंत्र की है पहचान
मस्तक पर भर देता गर्व
सैनिकों का अनुपम बलिदान
जन जन ने गीता कहा
नर नारी का हो सम्मान
संघर्ष हमारा विजयी रहा
मिली राष्ट्र को नयी पहचान
गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
नर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
विन्ध्याचल आस्था समेटे
हिमालय से यह विश्व जले
प्रगति परिधान पहन आती
गूँज रहा चहुँ और आहवान
सुख वैभव समृद्धि गाती
अपनी गौरव गाथा का गान
शहीद प्रफुल्लित हुआ आज
करता नमन हिन्द सारा
याद दिलाएं उसके काज
गया वतन पर वह मारा
संविधान बना है रामायण
है देश चलाने की कुंजी
गरिमा ना जाए उत्तरायण
यही हमारी है पूँजी
याद आ गए होनहार
जो ना बीच हमारे हैं
आन बनी है खेवनहार
जीवन अपना हारे हैं .
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना ! समसामयिक कविता !
ReplyDeleteबहुत ही अच्छे उद्गार इस राष्ट्रीय पर्व पर!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteगणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
bahut sudnar kavita ..
ReplyDeleteaapko bhi bahut shubhkamnayen !
yaad rakhane aur gaane laayak geet likhaa hai aapane...........
ReplyDeleteउन वीरों का स्मरण सबको हो।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !बहुत सुन्दर रचना!
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ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया रचना है
ReplyDeleteसामयिक और सुन्दर कविता.
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना
गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
ReplyDeleteनर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
विन्ध्याचल आस्था समेटे
हिमालय से यह विश्व जले ...
भारत की आत्मा को समेटने का प्रयास लाजवाब है .... गणतंत्र की मुबारक बाद ...
उन वीरों का स्मरण सबको हो।
ReplyDeleteयाद आ गए होनहार
ReplyDeleteजो ना बीच हमारे हैं
आन बनी है खेवनहार
जीवन अपना हारे हैं .
बहुत बढ़िया ....आपका आभार
प्रगति परिधान पहन आती
ReplyDeleteगूँज रहा चहुँ और आहवान
सुख वैभव समृद्धि गाती
अपनी गौरव गाथा का गान
देश प्रेम में डूबी सुन्दर कविता
आदरणीया रामपती जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
अच्छा गीत है … बहुत ख़ूब !
♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आप अच्छा लिखती हैं !!हार्दिक शुभकामनायें आपको !!
ReplyDeleteपहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए!
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
समय अनुकूल कविता पठनीय है।
ReplyDeleteसुधा भार्गव
nice
ReplyDeleteलोक तंत्र का महापर्व
ReplyDeleteगणतंत्र की है पहचान
मस्तक पर भर देता गर्व
सैनिकों का अनुपम बलिदान
desh bhakti ki bhawna se bhari sunder rachna.
shubhkamnayen
सुंदर भाव...
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