Wednesday, January 26, 2011

महापर्व






लोक तंत्र का महापर्व
गणतंत्र की है पहचान
मस्तक पर भर देता गर्व
सैनिकों का अनुपम बलिदान

जन जन ने गीता कहा
नर नारी का हो सम्मान
संघर्ष हमारा विजयी रहा
मिली राष्ट्र को नयी पहचान

गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
नर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
विन्ध्याचल आस्था समेटे
हिमालय से यह विश्व जले

प्रगति परिधान पहन आती
गूँज रहा चहुँ और आहवान
सुख वैभव समृद्धि गाती
अपनी गौरव गाथा का गान

शहीद प्रफुल्लित हुआ आज
करता नमन हिन्द सारा
याद दिलाएं उसके काज
गया वतन पर वह मारा

संविधान बना है रामायण
है देश चलाने की कुंजी
गरिमा ना जाए उत्तरायण
यही हमारी है पूँजी

याद आ गए होनहार
जो ना बीच हमारे हैं
आन बनी है खेवनहार
जीवन अपना हारे हैं .



22 comments:

  1. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना ! समसामयिक कविता !

    ReplyDelete
  2. बहुत ही अच्छे उद्गार इस राष्ट्रीय पर्व पर!!

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  4. गणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
    आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

    ReplyDelete
  5. bahut sudnar kavita ..
    aapko bhi bahut shubhkamnayen !

    ReplyDelete
  6. उन वीरों का स्मरण सबको हो।

    ReplyDelete
  7. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना !बहुत सुन्दर रचना!

    ReplyDelete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. बहुत ही बढ़िया रचना है

    ReplyDelete
  10. सामयिक और सुन्दर कविता.

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना

    ReplyDelete
  11. गंगा यमुना संस्कृति लपेटे
    नर्मदा गोदावरी सभ्यता पले
    विन्ध्याचल आस्था समेटे
    हिमालय से यह विश्व जले ...

    भारत की आत्मा को समेटने का प्रयास लाजवाब है .... गणतंत्र की मुबारक बाद ...

    ReplyDelete
  12. उन वीरों का स्मरण सबको हो।

    ReplyDelete
  13. याद आ गए होनहार
    जो ना बीच हमारे हैं
    आन बनी है खेवनहार
    जीवन अपना हारे हैं .

    बहुत बढ़िया ....आपका आभार

    ReplyDelete
  14. प्रगति परिधान पहन आती
    गूँज रहा चहुँ और आहवान
    सुख वैभव समृद्धि गाती
    अपनी गौरव गाथा का गान

    देश प्रेम में डूबी सुन्दर कविता

    ReplyDelete
  15. आदरणीया रामपती जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    अच्छा गीत है … बहुत ख़ूब !

    ♥ प्रेम बिना निस्सार है यह सारा संसार !♥
    बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

    ReplyDelete
  16. आप अच्छा लिखती हैं !!हार्दिक शुभकामनायें आपको !!

    ReplyDelete
  17. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए!
    बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!

    ReplyDelete
  18. समय अनुकूल कविता पठनीय है।
    सुधा भार्गव

    ReplyDelete
  19. लोक तंत्र का महापर्व
    गणतंत्र की है पहचान
    मस्तक पर भर देता गर्व
    सैनिकों का अनुपम बलिदान

    desh bhakti ki bhawna se bhari sunder rachna.

    shubhkamnayen

    ReplyDelete