Friday, December 31, 2010

नया साल आया है

दुल्हन सा बैचैन मन

जागा सारी रात
नए वर्ष के द्वार पर
आ पहुंची बारात । 

शहनाई पर 'भैरवी' 
छेड़े कोई राग 
या फूलों पर तितलियाँ 
लेकर उड़ीं पराग । 

इतनी सी सौगात ला 
आने वाले साल
पीने को पानी मिले 
सस्ता आटा , दाल । 

भाषा, मजहब, प्रान्त के 
झगडे और संघर्ष 
तू ही आकर दूर कर 
मेरे नूतन वर्ष । 

ये बूंदें हैं ओस की 
या मोती का थाल 
आओ देखें गेंहू के 
खेतों में नव साल । 

वो सरसों के खेत में
सपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी 
आया है नव वर्ष । 

नई भोर की रश्मियों 
रुको हमारे देश 
अंधियारों से आखिरी 
जंग अभी है शेष । 

21 comments:

  1. नई भोर की रश्मियों
    रुको हमारे देश
    अंधियारों से आखिरी
    जंग अभी है शेष ।

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.

    नव वर्ष मंगलमय हो।

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.

    अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
    तय हो सफ़र इस नए बरस का
    प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
    सुवासित हो हर पल जीवन का
    मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
    करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
    शांति उल्लास की
    आप पर और आपके प्रियजनो पर.

    आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  4. नव वर्ष का बेहतरीन संदेश! ईश्वर आपके सम्स्त परिजनों को सुख और समृद्धि प्रदान करे आने वाले वाले वर्ष में!!

    ReplyDelete
  5. नव वर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएं

    ReplyDelete
  6. बहुत सुनदर अभिव्यक्ति , बधाई व आपको व आपके ब्लाग के सभी साथियों को नववर्ष की शुभकामनायें।

    ReplyDelete
  7. khoobsurat abhivyakti...kash aapki prarthnaaye kabool ho jayen.

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  8. वो सरसों के खेत में
    सपने, खुशियाँ, हर्ष
    अपने घर और गाँव भी
    आया है नव वर्ष ..

    सुंदर महकती हुई रचना है ..... आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|

    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं|

    ReplyDelete
  10. रामपती जी,
    नव वर्ष पर इतने सुन्दर भावों से लबालब भरे दोहे पढ़ कर बड़ी प्रसन्नता हुई !
    हर दोहा अपने आप में एक मोती है !

    नई भोर की रश्मियों
    रुको हमारे देश
    अंधियारों से आखिरी
    जंग अभी है शेष ।

    आपका लेखन स्तुत्य है !
    नव वर्ष मंगलमय हो !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  11. नव वर्ष मंगलमय हो!!

    ReplyDelete
  12. सुन्दर अभिव्यक्ति. नववर्ष की शुभकामनाएँ :)

    ReplyDelete
  13. "नई भोर की रश्मियों
    रुको हमारे देश
    अंधियारों से आखिरी
    जंग अभी है शेष"

    प्रशंसनीय प्रस्तुति - नव वर्ष २०११ की मंगल कामना

    ReplyDelete
  14. इतनी सी सौगात ला
    आने वाले साल
    पीने को पानी मिले
    सस्ता आटा , दाल

    बस बस बस...इतना कुछ मिल जाए तो जीवन में कोई कष्ट ही न रहे...सारी जद्दो जहद ही खत्म हो जाए...बहुत अच्छी रचना...बधाई

    नीरज

    ReplyDelete
  15. लोहड़ी तथा मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  16. नव वर्ष से बहुत उम्मीद लगा रखी है हम सबने.आप की कलम ने सब बयाँ कर दिया .शुभ कामनाएं .

    ReplyDelete
  17. naw warsh mangalmaye ho.....

    achi rachana..............

    ReplyDelete
  18. nice configuration,congrats and good wishes.

    ReplyDelete