दुल्हन सा बैचैन मन
जागा सारी रात
नए वर्ष के द्वार पर
आ पहुंची बारात ।
शहनाई पर 'भैरवी'
छेड़े कोई राग
या फूलों पर तितलियाँ
लेकर उड़ीं पराग ।
इतनी सी सौगात ला
आने वाले साल
पीने को पानी मिले
सस्ता आटा , दाल ।
भाषा, मजहब, प्रान्त के
झगडे और संघर्ष
तू ही आकर दूर कर
मेरे नूतन वर्ष ।
ये बूंदें हैं ओस की
या मोती का थाल
आओ देखें गेंहू के
खेतों में नव साल ।
वो सरसों के खेत में
सपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी
आया है नव वर्ष ।
नई भोर की रश्मियों
रुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष ।
नई भोर की रश्मियों
ReplyDeleteरुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ !
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो।
बारात 365 दिनों की।
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteअनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
तय हो सफ़र इस नए बरस का
प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
सुवासित हो हर पल जीवन का
मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
शांति उल्लास की
आप पर और आपके प्रियजनो पर.
आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर,
डोरोथी.
नव वर्ष का बेहतरीन संदेश! ईश्वर आपके सम्स्त परिजनों को सुख और समृद्धि प्रदान करे आने वाले वाले वर्ष में!!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुनदर अभिव्यक्ति , बधाई व आपको व आपके ब्लाग के सभी साथियों को नववर्ष की शुभकामनायें।
ReplyDeletekhoobsurat abhivyakti...kash aapki prarthnaaye kabool ho jayen.
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
वो सरसों के खेत में
ReplyDeleteसपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी
आया है नव वर्ष ..
सुंदर महकती हुई रचना है ..... आपको और परिवार में सभी को नव वर्ष मंगलमय हो ...
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति|
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं|
रामपती जी,
ReplyDeleteनव वर्ष पर इतने सुन्दर भावों से लबालब भरे दोहे पढ़ कर बड़ी प्रसन्नता हुई !
हर दोहा अपने आप में एक मोती है !
नई भोर की रश्मियों
रुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष ।
आपका लेखन स्तुत्य है !
नव वर्ष मंगलमय हो !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
नव वर्ष मंगलमय हो!!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति. नववर्ष की शुभकामनाएँ :)
ReplyDeleteWonderful creation !
ReplyDeleteThanks !
"नई भोर की रश्मियों
ReplyDeleteरुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष"
प्रशंसनीय प्रस्तुति - नव वर्ष २०११ की मंगल कामना
इतनी सी सौगात ला
ReplyDeleteआने वाले साल
पीने को पानी मिले
सस्ता आटा , दाल
बस बस बस...इतना कुछ मिल जाए तो जीवन में कोई कष्ट ही न रहे...सारी जद्दो जहद ही खत्म हो जाए...बहुत अच्छी रचना...बधाई
नीरज
लोहड़ी तथा मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई.
ReplyDeletenice post..
ReplyDeletehappy new year
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नव वर्ष से बहुत उम्मीद लगा रखी है हम सबने.आप की कलम ने सब बयाँ कर दिया .शुभ कामनाएं .
ReplyDeletenaw warsh mangalmaye ho.....
ReplyDeleteachi rachana..............
nice configuration,congrats and good wishes.
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