बन ओस की निर्मल बूँद
बरस गए मेरी बगिया
हर पंखुरी आँखें मूँद
करती आपस में बतियाँ
भोर हुई आया अरुणाभ
चुन चुन उनको ले भागा
सुन्दर , शीशे सा तन
देख पुलक चहके कागा
पलाश ने लाली मांगी
थोड़ी सी तुमसे उधार
रजनी भी हुई सुवासित
तुमसे लेकर गंध अपार
दौड़ी आती है पुरवाई
लेकर तुम्हारा ही सन्देश
कहो प्रिय कैसी हो तुम
पिया भए हैं बहुत विकल
गौरैया का नन्हा जोड़ा
गुमसुम है मुझे देख उदास
कहो कौन सा गीत सुनाऊं
भर दे जो नैनन उजास
मोहे तनिक पास बुला लो
करता विनय सुर्ख गुलाब
सारे शूल मैं तज दूंगा
रखना अधरों पर मेरी आब .
सुन्दर गीत....
ReplyDeleteहार्दिक बधाई..
....प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteमगर बेहद प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करने की बधाई
बहुत ही प्यारा गीत..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर गीत
ReplyDeleteमोहे तनिक पास बुला लो
ReplyDeleteकरता विनय सुर्ख गुलाब
सारे शूल मैं तज दूंगा
रखना अधरों पर मेरी आब .्…………बहुत ही खूबसूरत्।
सुन्दर!!!
ReplyDeleteमधुर अभिव्यक्ति...
दौड़ी आती है पुरवाई
ReplyDeleteलेकर तुम्हारा ही सन्देश
कहो प्रिय कैसी हो तुम
पिया भए हैं बहुत विकल
मोहे तनिक पास बुला लो
करता विनय सुर्ख गुलाब
सारे शूल मैं तज दूंगा
रखना अधरों पर मेरी आब .
सुन्दरम मनोहरं .
सुंदर गीत
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