
एक पड़ाव
जीवन की पगडण्डी पर
मैं यूँ ही चलता जाता था
मुट्ठी में थे अतरंगी सपने
उनमें रंग भरता जाता था
राह में मिले बहुत से साथी
कुछ अपने कुछ थोड़े बेगाने
कुछ दूर चले फिर छूट गए
बस साथ चले उनके अफ़साने
धूप छाँव सा है जीवन
हँसते गाते बस बीत रहा
नित नई चुनौती नया राग
बस समय चक्र यूं घूम रहा
फिर एक सुरमई शाम ढली
ठहराव एक आने को है
मंजिल खड़ी है बांह पसारे
पारी नई शुरु होने को है
कल फिर सूरज निकलेगा
फिर पंछी गीत सुनाएंगे
जाना मुझको एक नई राह
कहकर मुझको समझायेंगे
जब था दफ्तर में पहला दिन
लगता जैसे हो कल की बात
नई नौकरी , नया उत्साह
और आज विदाई को तैयार
जाता हूँ मैं आज
पूरा करके एक सफर
कल लौट फिर आऊंगा
बनकर फिर से एक हमसफ़र
यारों मुझको भुला न देना
यादों में बस जाऊंगा
भूल नहीं जाना तुम मुझको
मैं भी भूल न पाऊंगा .
फिर पंछी गीत सुनाएंगे
कहकर मुझको समझायेंगे
लगता जैसे हो कल की बात
जाता हूँ मैं आज
पूरा करके एक सफर
कल लौट फिर आऊंगा
बनकर फिर से एक हमसफ़र
यारों मुझको भुला न देना
यादों में बस जाऊंगा
भूल नहीं जाना तुम मुझको
मैं भी भूल न पाऊंगा .
I feel very grateful that I read this. It is very helpful and very informative and I really learned a lot from it.
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