Tuesday, January 24, 2023

      खत 

वो खत जो तूने 

कभी लिखा ही नहीं 

मैं रोज बैठकर 

उसका जवाब लिखता हूँ  |  


याद आते हैं 

वो सुनहरे लम्हे 

मैं बंद पलकों में 

उन्हें फिर से जी लेता हूँ  |  


मिले थे जब 

हम पहली बार 

मैं समंदर किनारे 

ख्यालों में ही टहल आता हूँ | 


डायरी के पन्नों 

में वो सूखा गुलाब 

आज भी मेरा 

तन मन महका जाता है | 


गुजारिश है मेरी 

खत लिखना मुझे 

जिसका जवाब मैं  

हर रोज तुम्हें लिखता हूँ | 

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