Tuesday, December 20, 2011

कठिन रास्ते





हर राह 
करे इन्तजार 
ले जाने को 
सदैव तैयार 

कुछ हल्के 
भारी भरकम 
कहीं लम्बे 
दूरी के कम 

साथ निभाते 
मंजिल तक 
लौट भी जाते 
आखें ढक

करते तय 
सांझ ढले 
आना कल 
अब मिले गले 

आसान नहीं 
रास्ता एक 
मुश्किलें कई 
राजा या रंक 

कठिन रास्ते
एक चुनौती 
जाना उस पर 
हंसी बिखराती 

मील का पत्थर 
तुम्हीं बनो 
राह से हटकर 
नयी राह गढ़ो.

23 comments:

  1. नयी राहों कि खोज करने की प्रेरणा देती अच्छी प्रस्तुति

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  2. बहुत ही सार्थक सन्देश देती कविता... अपनी राह खुद बनाने वाले ही बुद्ध, ईसा या सुकरात होते हैं!!

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  3. वाह जी, बहुत सुंदर, क्या कहने


    आसान नहीं
    रास्ता एक
    मुश्किलें कई
    राजा या रंक

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  4. बहुत सुन्दर संदेश देती रचना।

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  5. जैसी हो एक राह नयी हो,
    जी लेने की चाह नयी हो।

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  6. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    राह से हटकर
    नयी राह गढ़ो.
    Wah! Bahut khoob!

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  7. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    राह से हटकर
    नयी राह गढ़ो.
    सुंदर पन्तियाँ सन्देश देती रचना बढ़िया पोस्ट,....
    मेरे पोस्ट में आने के लिए आभार,,,,,

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  8. वाह ...बहुत बढिया।

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  9. वाह...कमाल की नज़्म कही है आपने...बधाई

    नीरज

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  10. maafi chaahti hun picchli apki post par comment nahi kar payi thi.

    ye prastuti bhi bahut prerna dayak hai.

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  11. कुछ सरल-सी,कुछ गड्ड-मड्ड-सी.....कबिताई ऐसी हो जो दिल से निकले और बस छू जाए !

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  12. कल 23/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  13. बहुत सार्थक, प्रेरक कविता...
    सादर बधाई......

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  14. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    राह से हटकर
    नयी राह गढ़ो.


    ...बहुत सुन्दर...

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  15. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    राह से हटकर
    नयी राह गढ़ो.

    bahut sundar panktiyan

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  16. नई राह की खोज अच्छी लगी |भावपूर्ण रचना |बधाई |
    आशा

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  17. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    सुंदर भाव ...

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  18. मील का पत्थर
    तुम्हीं बनो
    राह से हटकर
    नयी राह गढ़ो....बढ़िया!!

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  19. बहुत सुन्दर कविता । ब्लाग पर आने का शुक्रिया । आती रहिये ।

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