दुल्हन सा बैचैन मन
जागा सारी रात
नए वर्ष के द्वार पर
आ पहुंची बारात ।
शहनाई पर 'भैरवी'
छेड़े कोई राग
या फूलों पर तितलियाँ
लेकर उड़ीं पराग ।
इतनी सी सौगात ला
आने वाले साल
पीने को पानी मिले
सस्ता आटा , दाल ।
भाषा, मजहब, प्रान्त के
झगडे और संघर्ष
तू ही आकर दूर कर
मेरे नूतन वर्ष ।
ये बूंदें हैं ओस की
या मोती का थाल
आओ देखें गेंहू के
खेतों में नव साल ।
वो सरसों के खेत में
सपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी
आया है नव वर्ष ।
नई भोर की रश्मियों
रुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष ।
You poem has opened our eyes to welcome new year and perhaps there could be no better way to greet the new season.... It has touched almost all aspects of life... all hues of life... all colours of our world is reflected in your poem...
ReplyDeleteYour personality's romantic aspect reflects when you say ...
"दुल्हन सा बैचैन मन
जागा सारी रात
नए वर्ष के द्वार पर
आ पहुंची बारात । "
Your love for nature finds colourful expression with these lines..
"शहनाई पर 'भैरवी'
छेड़े कोई राग
या फूलों पर तितलियाँ
लेकर उड़ीं पराग । "
Your common man's concern gets reflected in these lines and gives a new horizon to your peotic thinking....
"इतनी सी सौगात ला
आने वाले साल
पीने को पानी मिले
सस्ता आटा , दाल । "
Politically correct peotry is the true poetry and patriotic as well and it has find its place in these lines....
"भाषा, मजहब, प्रान्त के
झगडे और संघर्ष
तू ही आकर दूर कर
मेरे नूतन वर्ष । "
You still has feel for the fields, farmers and the perspective for the rural india....
"ये बूंदें हैं ओस की
या मोती का थाल
आओ देखें गेंहू के
खेतों में नव साल ।
वो सरसों के खेत में
सपने, खुशियाँ, हर्ष
अपने घर और गाँव भी
आया है नव वर्ष । "
Your vision for a enlightened and awakened life, people and country is expressed with these lines...
"नई भोर की रश्मियों
रुको हमारे देश
अंधियारों से आखिरी
जंग अभी है शेष । "
Turly an nice poem !