आंसू नहीं हैं
बहाने के लिए
संजो कर रखो
छुपा कर रखो
इन्हें
अनमोल मोती हैं
तुम्हारे मन सागर के
ह्रदय सीपी की
धरोहर हैं ये ।
भावों की
पतवार लिए
तिरते हैं ये
घड़ी - घड़ी
इन्हें यूं तनहा
मत छोडो
बिखर जायेंगे
कड़ी - कड़ी ।
आंसुओं को यूं
जाया न करो
रखो उन खुशियों के लिए
जो चाहता हूँ
मैं देना तुम्हें ।
उन खुशगवार लम्हों
के लिए रखो
जब उजास भर गया था
तुम्हारे चेहरे पर
देख मेरा दीप्त चेहरा .
आंसुओं को रखो
तब के लिए भी
जब मिलेगा तुम्हें
अपना खोया हुआ मित्र
धो देना सारे गिले
कर देना इनका अचवन ।
काम आयेंगे
उस समय भी
ये आंसू
जब कंठ से लगा
खोलोगी ह्रदय कपाट
सम्मुख मेरे ।
पन्कज त्रिवेदी (pankajtrivedi102@gmail.com)ने इमेल से कहा :
ReplyDelete"वाकई आपने ला-जवाब कविता लिखी है | आंसूंओं का मूल्य क्या है? इसे ग़म के लिएँ जाया नहीं करना है, आने वाली खुशियों के लिएँ संजोकर भी रखना है |
बहुत अच्छा | धन्यवाद | "
आंसुओं को रखो
ReplyDeleteतब के लिए भी
जब मिलेगा तुम्हें
अपना खोया हुआ मित्र
धो देना सारे गिले
कर देना इनका अचवन ।
umda rachna hai...
एक अत्यंत ही भाव भरी कविता!
ReplyDeleteअच्छी रचना
ReplyDeleteएक अलग भाव दिया है आपने……………सुन्दर रचना।
ReplyDeleteवों की
ReplyDeleteपतवार लिए
तिरते हैं ये
घड़ी - घड़ी
इन्हें यूं तनहा
मत छोडो
बिखर जायेंगे
कड़ी - कड़ी ।
BAHUT GAHRE ARTH
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
ReplyDeleteहर बहता आँसू कितना गहरा अनुभव दे जाता है।
ReplyDeletebehatar
ReplyDeleteaansu pr likh diya he bhut kuch apne dhaansu , akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeletebahut khub likha hai aapne
ReplyDeleteसच है कि बहुत खुशी मिलने पर भी आँसू आ जाते हैं ...बहुत बढ़िया भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletenice लेखन
ReplyDeleteashu ko valuable bana diya apne
ReplyDeleteआंसुओं को यूं
ReplyDeleteजाया न करो
रखो उन खुशियों के लिए
जो चाहता हूँ
मैं देना तुम्हें ।
ओह....क्या भाव हैं...
और अभिव्यक्ति - ग्रेट !!!!
कोमल भावों की यह मोहक अभिव्यक्ति मन लुभा गयी...
संभाल के रखो इन आँसुओं को ... पर ये कम्बख़्त किसी की मानते कहाँ हैं ....
ReplyDeleteबहुत खूब ... अच्छे ज़ज्बात हैं इस रचना में ...