अहो। देखे कितने वसंत
आयंगें अनगिनत वसंत
उन सबसे सुखकर होगा
आने वाला यह वसंत !
दिन दुनी रात चौगुनी
सांसे आपके जीवन की
सुगन्धित हो बयार
हर वेला आपके आसपास की
इन्द्रधनुष सा हो भोर
रातें रजनीगंधा सी
खिले पलाश हर दिन
साँझ महके रातरानी सी
लम्हे जो आने वाले है
यादगार बन जाये
तुम पारस से
छू लो जिसे कुंदन बन जाये ।
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