खुशबू तुम्हारी
महका रही है
हंसी की गूँज
गुदगुदा रही है .
तुम्हारी आँखों में
लाज के डोरे
खींचे अपनी ओर
मुझको बुला रहे हैं .
कलाई में बजता
कंगन का जोड़ा
कानो में मेरे
गीत गा रहे हैं .
गालों पर उड़ते
वो आवारा गेसू
लगता है जैसे
मुझको चिढ़ा रहे हैं .
कागज पे तेरा
छुप छुप के लिखना
कहीं कोई चिट्ठी
मेरे गाँव आ रही हैं .
सुंदर भावाव्यक्ति बधाई
ReplyDeleteकागज पे तेरा
ReplyDeleteछुप छुप के लिखना
कहीं कोई चिट्ठी
मेरे गाँव आ रही हैं .
-बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!
कहीं कोई चिट्ठी
ReplyDeleteमेरे गाँव आ रही हैं ...
kya hai us pyaari se chiththi me , mujhe bhi intzaar hai
aapke bhaa unka shbdon me dhaal kr blog men prstutikrn unkaa chitrn bhut khub he bdhayi ho. akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteग़ालिब का एक शेर था, ठीक से याद नहीं आ रहा है, सरल भाषा में अर्ज है :
ReplyDeleteडाकिये के आने तक एक ख़त और तैयार कर लूं,
मैं जानता हूँ, वो क्या लिखने वाले है जवाब में !
कागज पे तेरा
छुप छुप के लिखना
कहीं कोई चिट्ठी
मेरे गाँव आ रही हैं .
बढिया अभिव्यक्ति ...
चिठ्ठी से अधिक उसकी प्रतीक्षा गुदगुदाती है।
ReplyDeleteअरे वाह बहुत बढ़िया मित्र...
ReplyDeleteगालों पर उड़ते
ReplyDeleteवो आवारा गेसू
लगता है जैसे
मुझको चिढ़ा रहे हैं .
इसमें चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से इसे सजाया है। क्षुष बिम्ब का सुंदर तथा सधा हुआ प्रयोग।
फ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं!
बहुत सुन्दर भावो से भरी रचना।
ReplyDeleteसुन्दर भाव ...अब तो चिट्ठी का इंतज़ार भी खत्म हो गया है
ReplyDeleteशुक्रिया।
ReplyDeleteशिक्षा का दीप जलाएं-ज्ञान प्रकाश फ़ैलाएं
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाई
संडे की ब्लाग4वार्ता--यशवंत की चाय के साथ--आमंत्रण है…।
bhaon ka bahoot hi sunder chitran ...........
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की बधाई
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