कली ने कली से कहा कान में
ये माली है या कि रचयिता हमारा
हमें ये सहेजे, हमें ये संवारे
आखिर ये लगता है कौन हमारा ।
भोर हुई, आये आतुर से
प्यार से सींचे और दुलराये
मुरझाया देख हमें
इसका मुख भी कुम्हलाये ।
रोपा एक नन्हा सा बीज
ढेरों आशाएं साथ लिए
खिल आयेंगे पुष्प सुगन्धित
उम्मीदों को साथ लिए ।
हम लहरायें
ये खुश हो जाये
शूल चुभा दें
तो भी मुस्काये ।
इसने रची है रचना ऐसी
सुकुमार, सुकोमल और सुमधुर
खुशबु ऐसी भीनी - भीनी
मन ह्रदय तरंगित हो भीतर ।
प्रेमी के हाथ मनुहार लिए
हीर के गीत पिरोयें हैं
निश्छल मुस्कान की परछाई
शीरी ने नैन भिगोयें हैं ।
हे माली, ना हो उदास
हम फिर वापस आयेंगे
आहट होगी जब वसंत की
एक- दूजे को कंठ लगायेंगे ।
हे माली, ना हो उदास
ReplyDeleteहम फिर वापस आयेंगे
आहट होगी जब वसंत की
एक- दूजे को कंठ लगायेंगे ।
वक्त की बात है. हर पतझड़ के बाद बसंत आती ही है.
सुन्दर रचना, आशावादी स्वर
प्रेमी के हाथ मनुहार लिए
ReplyDeleteहीर के गीत पिरोयें हैं
निश्छल मुस्कान की परछाई
शीरी ने नैन भिगोयें हैं ।
waah
अच्छा लगता है आपको पढ़ना, लाजवाब , बहुत बढ़िया लगी ये पोस्ट
ReplyDeleteहे माली, ना हो उदास
ReplyDeleteहम फिर वापस आयेंगे
आहट होगी जब वसंत की
एक- दूजे को कंठ लगायेंगे ।
आपकी हर रचना कल्पना के खोदे दौड़ाने को मजबूर कर देती है... जो एक उम्दा पक्ष होता है आपकी लेखनी का.. बहुत अच्छी रचना है..
हे माली, ना हो उदास
ReplyDeleteहम फिर वापस आयेंगे
आहट होगी जब वसंत की
एक- दूजे को कंठ लगायेंगे ।
आपकी हर रचना कल्पना के घोड़े दौड़ाने को मजबूर कर देती है... जो एक उम्दा पक्ष होता है आपकी लेखनी का.. बहुत अच्छी रचना है..
प्रेमी के हाथ मनुहार लिए
ReplyDeleteहीर के गीत पिरोयें हैं
निश्छल मुस्कान की परछाई
शीरी ने नैन भिगोयें हैं ।
....बेहद प्रभावशाली रचना,बधाई !!!
प्रक्रति के बहुत करीब है आपकी रचनाएँ , प्रशंशा के लिए शब्द तलाशने होंगे .........
ReplyDeleteया फिर.... very nice ......
aapki har rachna me itni aatmiyta bhari hoti hai ki inhe baar baar padhne ka man karta hai...
ReplyDeletejaise inhi panktion me dekhiye ...
भोर हुई, आये आतुर से
प्यार से सींचे और दुलराये
मुरझाया देख हमें
इसका मुख भी कुम्हलाये ।
maali... ke bahane prem ka jo bhav aapne prastut kiya hai.. hindi sahitya me virle hi milega... jaise...
प्रेमी के हाथ मनुहार लिए
हीर के गीत पिरोयें हैं
निश्छल मुस्कान की परछाई
शीरी ने नैन भिगोयें हैं ।
... aur kya maali ki aisi kismat hogi ki pushp usse kanth lagayegi... adbhud bhav...
हे माली, ना हो उदास
हम फिर वापस आयेंगे
आहट होगी जब वसंत की
एक- दूजे को कंठ लगायेंगे ... kaash har maali ki kismat aisi ho !
भोर हुई, आये आतुर से
ReplyDeleteप्यार से सींचे और दुलराये
मुरझाया देख हमें
इसका मुख भी कुम्हलाये ।milan ki aash bhi hai,milne ki vyagrata bhi aur uske aane ki ummeed bhi,wakai adbhut hai.ummeed ki dore thamkar badhti rachna ke ke liye dhanyawad.
apki Kavita achi Lagi. Yah Kavita Mali Darshan Patrika mai mein apke nam va Photo ke sath prakashit hui hai. yadi apka adress Hota to patrika Bhijvata. Sabhar... Happy New Year..
ReplyDeleteDHANRAH MALI
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